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नई सुबह || ये हुनर

हुनर तू लड़ उन आधियों से यही हुनर कल काम आएगा सब्र कर परेशान न हो ये इम्तिहान का वक्त है देखना कल का सूरज एक नई किरण के साथ आएगा तू पूछ इन गिरते बारिश से उनका भी तर्जुबा तेरे काम आएगा जिनके द्रव्यमान हल्के न हो फिर भी बादलों में तैर दिखाया है देखना कल ये हुनर एक नई पंख के साथ आएगा तू लड़ …

पलायन करते पंक्षी

पलायन करते पंक्षी जब मेरी लहरों के साथ तेरी स्वर गूंजती थी भर चारो तरफ खुशहाली सबको मंत्रमुग्ध कर देती थी अब सुनी पड़ गई  ये ललाहती लहरे वीरान जगहों में भी तुझे बुलाती है लहरें आकर इस धारा में फिर से शैर करना ले तू आकर मेरी जल से फिर अपनी प्यास बुझा ले तू अब तुम कहा चले गए कमी खलती है तु…

जलियांवाला बाग

अभी भी वहां की हवाएं महसूस कराती है निहत्थे लोगों के संहार के धधकती ज्वाला देखकर रूहे काप जाती है बागो के बीच वह खुला कुआं क्या तुम्हे याद है वह रात काली जिस क्रांति क्षेत्र में चली थी निहत्थे लोगों पर अंधाधुन गोली कैसे भुल सकता है उस आग को खुनो से लथपथ उस जालियांवाला बाग को आजादी के जो…

मन में दुविधा मत रखो

मन में दुविधा मत रखो जो करना है वो करो मन में दुविधा मत रखो हर तुद परिस्थितियों में हसो बस मन में दुविधा मत रखो तुम नवोदय के बीज हो गर मिट्टी में लिपटोगे नहीं तो खिलोगे कैसे  अपनी खुशबूओ से जग में महकोगे कैसे ये खुला नभ तुम्हारा है जो करना है वो करो बस मन में दुविधा मत रखो             - …

थोड़ा बहुत कविता

थोड़ा बहुत हैरान होने की बात नहीं थोड़ा बहुत तो हम भी लिख लिया करते है आदा की गई किसी के वफाओं को हम भी पन्ने पर उतार लिया करते है सुना इश्क़ में ये गवारा नहीं लहज़ा अपनी अल्फाजों में किसी को बदनाम नहीं किया करते कुछ बाते छिपाकर  कुछ बाते को ही बयां करते है हा उस चांद के साथ हम भी निकलते…

एक बार खुद से पूछो

एक बार खुद से पूछो एक बार खुद से पूछो आइने को देखने बाद तेरे अश्रु धार क्यों बह रहे थे तुम उस चांद के साथ ही निकले थे वह सुबह के तलाश में निकला था तो तुम किसी मंजिल के तलाश में फिर किस मोड़ पर भटक गए तुमने तो ऊंची उड़ान लगाई थी पर हवाओं के बदलती रुख में तुमने अपने को क्यों बदल दिए एक बार …

नासमझ ही सही | दर्द भरी कविता

नासमझ ही सही एक दूजे के जानने बाद भी नासमझ बनना चलो अच्छा है मै नासमझ ही सही मेरा गुरूर कहो या शख्शियत मै समझाऊ तो कैसे समझाऊं चलो अच्छा है तेरी नज़रों में मै खुदगर्ज ही सही तुम समझती हैं हमे दर्द ही नहीं है कैसे कहूं, तुझे सकू नहीं थी मैंने भी नहीं सोया है यकीन कर तेरी यादें मेरी खिड़कि…

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