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एक बार खुद से पूछो

एक बार खुद से पूछो

एक बार खुद से पूछो

आइने को देखने बाद

तेरे अश्रु धार क्यों बह रहे थे

तुम उस चांद के साथ ही निकले थे

वह सुबह के तलाश में निकला था

तो तुम किसी मंजिल के तलाश में

फिर किस मोड़ पर भटक गए

तुमने तो ऊंची उड़ान लगाई थी

पर हवाओं के बदलती रुख में

तुमने अपने को क्यों बदल दिए

एक बार खुद से पूछो

तेरे अश्रु धार क्यों बह रहे थे

               - अमरजीत



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