कैसी है महामारी फासला बढ़ा दी हमारी
(कोरोना में न जाने कितने हमसे दूर चले गए ये कविता घर के छोटे छोटे बच्चे का दादा दादी से दूर होने की व्याकुलता को दर्शाती है)
✍️कैसी है ये महामारी
फासला बढ़ा दी हमारी
अन्तिम समय भी उनको न देख पाए
अपने को भी अलविदा न कह पाए
जिनसे मिलने के लिए रहते थे आकुल
हमसे छीन कर दिया है व्याकुल
हे अलौकिक शक्तियां करते है इबादत
इतना भी मत कर जियादात
देख कैसे वे जा रहे छोड़ के
हमें भी नहीं देख रहे मुख मोड़ के
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बच्चे के लिए मिठाई लाते है दादाजी
ज्ञानप्रद कहानियां सुनाती है दादीजी
बहुत ताकत होती है उन बुजुर्ग के हाथो में
जिंदगी के तर्जुबे सीखते है अपनी बातो में
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-अमरजीत
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