लाचार किसान
✍️आजकल परिंदे अपनी जान कहा बचा पाते
वे उन परिंदे को अपनी नई पंख लगा के उड़ा देते
इमारती दुनिया में कच्ची मकान में रहने वाले
मजबूरन परिंदे अपनी ही आशियाना खुद तोड़ देते
वे निर्वाचन से पहले पूछते उनके अरमानों को
दे सब्सिडी की लालच टैक्सो से ही गर्दन दबोच देते
मौसमों के मार, बिचावलियो के दीवार ने
उन परिंदे के शरीर के सारे गुर्दे नोच लेते
प्रकृति की मार कहूं या सिस्टम की लाचारी
किश्तो में मुहैया मौत के फंदे पर परिंदे झूलते
-अमरजीत
Nice ♥️♥️
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