दरिंदे
भले इंसान के जैसा हूं बहू था
पर इंसान नहीं था
वासना की कामना धर
वे एक हैवान था
मोहब्बत के लिबास पहने
जिस्म के प्यासा था
आबरू को लूटने
वे दरिंदे हैवानियत का गुलाम था
"फिर एक निर्भया जाग गई है
दरिंदगी इंसानियत को शर्मसार कर गई है
फिर चारो तरफ होगी शोर,निकलेगे कैंडल मार्च
अब तो चीख सुन,चिर बढ़कर नहीं बचा पाते लाज"
-अमरजीत
Bahut bandhiya ekdam sahi likhe ho keep it up👌👌👌🙏🙏🙏🙏
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