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हैवानियत

 हैवानियत

कुछ पल और कर लो सब्र


हाथी के मुख बारूद


✍️अब तो कुछ पल और कर लो सब्र
लाशे दफन के लिए खोदे जा रहे कब्र
भावनाओं का भी नहीं हो रहें कद्र
अब तो जनावर भी नहीं बचा पा रहे गर्भ
बेजुबानों का यही हालात दिखते है
अब तो ईमान भी रद्दी के भाव बिकते है

अपनों से कैसी है ये रंजीदा
दिल्ली में उठा है ये मुद्दा
लेकिन वे इस मामले को नहीं समझ रहे पेचीदा
आजकल वे लोग भी बन रहे संजीदा
हर किसी को मदद से पहले वोट दिखता है
दिखावे के लिए संसद में बैठक होता है

जब ऐसे होगा मानवता का आघात
क्यों नहीं आएगा ऐसे अभ्यापात
क्यों नहीं आएगा कोरोना कि रात
क्यों नहीं आएगा टिंडो का बारात
अब तो धरती भी थर-थर कापती है
और आंधी-पानी चेतावनी दे जाती है

हे गर्भणी गजरानी तुझे प्रणाम समर्पित करता हूं
मै तेरे पावन चरणों में श्रध्दांजलि समर्पित करता हूं

                                              -अमरजीत

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