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थोड़ा बहुत कविता

 थोड़ा बहुत

amarjeetpoetry

हैरान होने की बात नहीं

थोड़ा बहुत तो हम भी लिख लिया करते है

आदा की गई किसी के वफाओं को

हम भी पन्ने पर उतार लिया करते है

सुना इश्क़ में ये गवारा नहीं

लहज़ा अपनी अल्फाजों में

किसी को बदनाम नहीं किया करते

कुछ बाते छिपाकर 

कुछ बाते को ही बयां करते है

हा उस चांद के साथ हम भी निकलते है

जहा रैन बसेरे मिले

महफ़िल वहीं जमा लिया करते है

हैरान होने की बात नहीं

थोड़ा बहुत तो हम भी लिख लिया करते है

                            - अमरजीत

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