थोड़ा बहुत
हैरान होने की बात नहीं
थोड़ा बहुत तो हम भी लिख लिया करते है
आदा की गई किसी के वफाओं को
हम भी पन्ने पर उतार लिया करते है
सुना इश्क़ में ये गवारा नहीं
लहज़ा अपनी अल्फाजों में
किसी को बदनाम नहीं किया करते
कुछ बाते छिपाकर
कुछ बाते को ही बयां करते है
हा उस चांद के साथ हम भी निकलते है
जहा रैन बसेरे मिले
महफ़िल वहीं जमा लिया करते है
हैरान होने की बात नहीं
थोड़ा बहुत तो हम भी लिख लिया करते है
- अमरजीत
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