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मन में दुविधा मत रखो

 मन में दुविधा मत रखो

amarjeetpoetry

जो करना है वो करो
मन में दुविधा मत रखो
हर तुद परिस्थितियों में हसो
बस मन में दुविधा मत रखो
तुम नवोदय के बीज हो
गर मिट्टी में लिपटोगे नहीं
तो खिलोगे कैसे 
अपनी खुशबूओ से
जग में महकोगे कैसे
ये खुला नभ तुम्हारा है
जो करना है वो करो
बस मन में दुविधा मत रखो

            - अमरजीत



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