थोड़ा बहुत हैरान होने की बात नहीं थोड़ा बहुत तो हम भी लिख लिया करते है आदा की गई किसी के वफाओं को हम भी पन्ने पर उतार लिया करते है सुना इश्क़ में ये गवारा नहीं लहज़ा अपनी अल्फाजों में किसी को बदनाम नहीं किया करते कुछ बाते छिपाकर कुछ बाते को ही बयां करते है हा उस चांद के साथ हम भी निकलते…
एक बार खुद से पूछो एक बार खुद से पूछो आइने को देखने बाद तेरे अश्रु धार क्यों बह रहे थे तुम उस चांद के साथ ही निकले थे वह सुबह के तलाश में निकला था तो तुम किसी मंजिल के तलाश में फिर किस मोड़ पर भटक गए तुमने तो ऊंची उड़ान लगाई थी पर हवाओं के बदलती रुख में तुमने अपने को क्यों बदल दिए एक बार …
नासमझ ही सही एक दूजे के जानने बाद भी नासमझ बनना चलो अच्छा है मै नासमझ ही सही मेरा गुरूर कहो या शख्शियत मै समझाऊ तो कैसे समझाऊं चलो अच्छा है तेरी नज़रों में मै खुदगर्ज ही सही तुम समझती हैं हमे दर्द ही नहीं है कैसे कहूं, तुझे सकू नहीं थी मैंने भी नहीं सोया है यकीन कर तेरी यादें मेरी खिड़कि…
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कविता की सूची
- ❇️लाचार किसान
- ❇️दरिंदे
- ❇️मेहनतकश किसान
- ❇️जो छोड़ चला अपनी बुनियाद
- ❇️अपनी पहचान हिंदी में अस्वीकार है
- ❇️कुछ कर लो यार
- ❇️बेवफ़ा
- ❇️पहुंच से दूर वे शिक्षा उनके लिए
- ❇️ बादल भी अश्रु बहाए
- ❇️ बिहार में प्रलय
- ❇️ मां-बाप वृद्धाश्रम
- ❇️ विभिन्नता
- ❇️ सियासत की भूख
- ❇️उठ मां
- ❇️कहाँ हो मोहन
- ❇️कैसी है महामारी
- ❇️जिंदगी के हर जंग जीत जाएंगे
- ❇️दशरथ माझी
- ❇️बिखरते पन्ने
- ❇️माँ
- ❇️मुफलिसी
- ❇️मेरी मजबूरी
- ❇️मैं मजदूर पैसे के सामने मजबूर
- ❇️ये जंजीर
- ❇️शख्स
- ❇️सुनी पड़ गई नदिया
- ❇️हम उनको कहा चुनते है
- ❇️हैवानियत