घड़ी के तीन सुइयां होती है जिसमें एक सुई का नाम सेकंड वाली सुई के नाम से मशहूर है। इस सेकेंड वाली सुई का अपना आस्तित्व तो है लेकिन इसका उल्लेख कहीं नहीं होता।हर कोई कहता है कि दस बजकर दस मिनट हुए है। परन्तु ये कोई नहीं कहता है कि दस बजकर दस मिनट पंद्रह सेकेंड हुए है। जबकि यह सेकेंड वाली…
✍️टूटते तारो को देख उसने कहा मांगो कोई मुराद अरे उनको कोई समझाए जरा
हिंदी हूं फिर भी हिंदी में पहचान अस्वीकार है हिंदी भारत की राजभाषा है। पर लोग अपनी पहचान हिंदी के जगह अंग्रेजी में बता कर अपने को गर्व महसूस करते है।हिंदी को अपनी विचाधारा में बनाए रखने के लिए हिंदी का भी प्रचार पसार करना पर रहा है।आजकल कुछ घरों में बच्चे मेहमान के सामने हिंदी में गिनती …
कुछ कर लो यार ✍️चलो मै हारा तुम जीते क्या कीमती वक्त गवाकर, उसके जिंदगी के लिए किए क्या
बेवफ़ा ✍️मोहब्बत का इजहार करने में देरी क्या की मैंने रकीब से सौदा ही कर ली उसने
पहुंच से दूर शिक्षा उनके लिए कहा तय था शिक्षा हर बच्चो के लिए लेकिन पहुंच से दूर शिक्षा उन बच्चो के लिए यहां तो परिजन तकनीक से जुड़ने में असमर्थ लगते महामारी में उनकी स्थिति और दयनीय दिखते केवल दरख़्त के साये के शिक्षा बनी उनके लिए कहा तो तय था शिक्षा हर बच्चो के लिए लेकिन पहुंच से…
जिंदगी के हर जंग जीत जाएंगे ✍️रास्ते कितने भी कठिन हो मंजिल चाहे कितने भी आसमां पर हो
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कविता की सूची
- ❇️लाचार किसान
- ❇️दरिंदे
- ❇️मेहनतकश किसान
- ❇️जो छोड़ चला अपनी बुनियाद
- ❇️अपनी पहचान हिंदी में अस्वीकार है
- ❇️कुछ कर लो यार
- ❇️बेवफ़ा
- ❇️पहुंच से दूर वे शिक्षा उनके लिए
- ❇️ बादल भी अश्रु बहाए
- ❇️ बिहार में प्रलय
- ❇️ मां-बाप वृद्धाश्रम
- ❇️ विभिन्नता
- ❇️ सियासत की भूख
- ❇️उठ मां
- ❇️कहाँ हो मोहन
- ❇️कैसी है महामारी
- ❇️जिंदगी के हर जंग जीत जाएंगे
- ❇️दशरथ माझी
- ❇️बिखरते पन्ने
- ❇️माँ
- ❇️मुफलिसी
- ❇️मेरी मजबूरी
- ❇️मैं मजदूर पैसे के सामने मजबूर
- ❇️ये जंजीर
- ❇️शख्स
- ❇️सुनी पड़ गई नदिया
- ❇️हम उनको कहा चुनते है
- ❇️हैवानियत