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पहुंच से दूर शिक्षा

 पहुंच से दूर शिक्षा उनके लिए

तकनीक से जुड़ने में बच्चे असमर्थ है कविता


कहा तय था शिक्षा हर बच्चो के लिए
लेकिन पहुंच से दूर शिक्षा उन बच्चो के लिए

यहां तो परिजन तकनीक से जुड़ने में असमर्थ लगते
महामारी में उनकी स्थिति और दयनीय दिखते
केवल दरख़्त के साये के शिक्षा बनी उनके लिए
कहा तो तय था शिक्षा हर बच्चो के लिए
लेकिन पहुंच से दूर वे शिक्षा उन बच्चो के लिए

वे(माता पिता) मुतमइन थे उनके बच्चे पढ़ पाएंगे
उनके सपने उनके बच्चे के बदौलत पूरे हो पाएंगे
जग में उनकी फासला को कम कर पाएंगे
लेकिन सारे तकनीक बने चुनाव के लिए
कहा तो तय था शिक्षा हर बच्चो के लिए
लेकिन पहुंच से दूर शिक्षा उन बच्चो के लिए

शिक्षा,बस एक उम्मीद के किरण बन गई है
यंत्र की कमी उनकी कमजोरी बन गई हैं
जिंदगी के नाव में पतवार के कमी बन गई है
लेकिन अमरजीत, पतवार नहीं बनी उनके लिए
कहा तो तय था शिक्षा हर बच्चो के लिए
लेकिन पहुंच से दूर शिक्षा उन बच्चो के लिए

                                              -अमरजीत

(ये मेरी कविता इस बात की यार इशारा कर रही है कि तालाबंदी में बच्चो की शिक्षा ऑनलाइन ही दी जा रही परन्तु अधिकतर ऐसे बच्चे है जो दूरभाष यंत्र खरीदने में असमर्थ है जिनके कारण उनकी पढ़ाई पूरी तरह से रुक गई है)

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