कारगिल के विजय दिवस पर "मर कर भी वतन कि उल्फत नहीं निकलेगी जरा इस मिट्टी से तिलक लगा लो
हम उनको कहा चुनते है ✍️ एक वोट के लिए वे कितने चेहरे पर नकाब पहनेंगे काम निकल जाने के बाद "कौन है आप" जैसे सवाल करेगें फिर जन ऐसे लोगो को मतदान क्यों देती जिसकी सरकार सिर्फ अपनी उल्लू सीधा करती जो चुनावो में हाथ जोड़े आपके दरवाजे पर खड़े रहते हैं कल वे केवल अपने घर भरते हैं आए …
क्या करू साहब Lockdownमें पुलिस की सख्ती और लोग की मजबूरी ✍️समझता हूं घर में रहना कितना जरूरी है विवश होकर बाहर निकालना मेरी मजबूरी है साहब,इस पापी पेट का सवाल है मेरी आय का श्रोत रोज की मजदूरी है तृष्णाए भी नहीं मेरी दैनिक जरूरत में पर ना कुछ जमा है मेरी…
सुनी पड़ गई ये लहरें पलायन करते चिड़िया ✍️जब मेरी लहरों के साथ तेरी स्वर गुजती थी भर चारो तरफ खुशहाली सबको मंत्रमुग्ध कर देती थी अब सुनी पड़ गई है ये लहलाती लहरें वीरान जगहों में भी तुझे बुलाती है ये लहरें आकार इस धारा में फिर से शैर करना तू उड़ते-उड़ते थक गया ह…
मुफलिसी पिता को गोद में ले रोता बच्चा मुफलिसी पर क्या लिखूं मै अकसर नुकसान मुफलिसियो का होता है उस बच्चे के गोद में उसका बाप नहीं उस देश की मरी आत्मा पर वह बच्चा रोता है कैसी सिस्टम हो गई है हमारी जब कोई किसान कीटनाशक के दावा पी लेता है कोई भू माफिया सरकारी जमीन को किराए पर दे रहा तो सज…
दशरथ मांझी के दृढ़ दशरथ मझी के द्वारा बनाया गया सड़क ✍️आए जिंदगी में तूफ़ानों में साहिल छोड़ रचा इतिहास वह, इन पहाड़ों को तोड़ जिनके आगे पत्थर भी बिखेर गया जो अपनी मोहब्बत के नई छाप छोड़ गया भले वह आर्थिक से जर्जर था पर उसके दृढ़ बड़े कमाल था इश्क के लहरों के अद्भुत था माझी कोई नहीं वह है…
जब मिलने के तमन्ना थी तब उनके रास्ते में कई मोड़ आई सवालात करता हूं खुदा तुझसे अब मेरे मोड़ क्यों बनती है परछाई -अमरजीत --------******--------- प्यार की निशानी है ताजमहल तो क्यों है वह एक कब्रस्थल -अमरजीत _____*****_____ अपनी मोहब्बत …
शख्स शख़्स ✍️उसकी नवाज़िश में भी कोई साजिश लगती है ये बदलाव में उसकी कोई निजी खाहिश लगती है वरना जब माज़ी में आई थी खिजां तब उसको कोई मदद के लिए नहीं सुझा कर खिदमत अपने कामों कि सिफ़ारिश करता है बारूद तिलियो पर थी बदनाम माचिस को करता है वह शख्स अपने गलतियों पर झूठ के पर्दा …
विभन्नता ✍️ लोग हिन्दू और मुस्लिम के नाम पर क्यों लड़ते है एक बीज के दो फाड़ है ये बात क्यों नहीं समझते है लोग उन चिड़ियों और जानवरों से भी क्यों नहीं सीख रहे है बल्कि उससब को भी विभिन्न वर्गो और धर्मो में बॉट रखे है मंदिर में दाना चुंगती चिड़िया मस्जिद में पानी पीती है सुना…
ये जंजीर Lockdown ✍️कहां गुम हो गई इस खाली मयान कि शमशीर क्या कभी नहीं टूटेगी ये जंजीर अब ये मयान भी कर रही इल्तिज़ा क्या तेरे इल्म में नहीं कोई उपाय सूझा बहुत हुआ जकड़न में जीना किसी को अब बेवक्त नहीं है सोना इंसानों पर कैसी आन पड़ी ये मजबूरियां इस बेड़ियों ने बढ़ा दी अ…
बादल भी अश्रु बहाए ✍️ उन वीरों की शहादत पर ये बादल भी अश्रु बहाए शर्म नहीं आती उन सियासती पिदो को जो इस बात को भी राजनीति में घसीट लाए बड़े बनते हैं दानवीर लेकिन अंदर बह रही बेईमानी कि नीर अरे दो मुखटो वालों एक नौकरी और कुछ मुआवजे के वादे के आलावा बोलो क्या दे पाए अरे इस घ…
सियासत की भूख ✍️आज फिर सियासत दहक उठी उसमें पड़ी आहुतियां जल उठी सभी ने तान लिए है पर्तांचा सियासत में निब रखने की बड़ी है उत्कंठा देखना कैसे करेंगे कामप्रवेदन जनता से कैसे करेंगे निवेदन अपनी फसल के लिए चुनेंगे सिर्फ भूमि कृष्ट वे इस काम में है बड़े उत्कृष्ट हे राष्ट्र …
"बेटा के ये कैसा फ़र्ज़ ..." बेघर हुए मा-बाप ✍️जिनके आचल में जीवन पथ पर चलना सीखता है आज उस आचाल के धब्बा क्यों बन जाता है जिन उंगलियों के पकड़ चलना सीखता है आज उन उंगलियों के हाथो का सहारा क्यों नहीं बनना चाहता है जिन कंधो पर बैठ पूरा मेला घूमता है आज वह कंधे वाला एक बोझ क्यों …
मां तो मां होती है मां ✍️जब गुज़ उठ किलकारी घर के आंगन में सब हसे लेकिन मै रो रहा था
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कविता की सूची
- ❇️लाचार किसान
- ❇️दरिंदे
- ❇️मेहनतकश किसान
- ❇️जो छोड़ चला अपनी बुनियाद
- ❇️अपनी पहचान हिंदी में अस्वीकार है
- ❇️कुछ कर लो यार
- ❇️बेवफ़ा
- ❇️पहुंच से दूर वे शिक्षा उनके लिए
- ❇️ बादल भी अश्रु बहाए
- ❇️ बिहार में प्रलय
- ❇️ मां-बाप वृद्धाश्रम
- ❇️ विभिन्नता
- ❇️ सियासत की भूख
- ❇️उठ मां
- ❇️कहाँ हो मोहन
- ❇️कैसी है महामारी
- ❇️जिंदगी के हर जंग जीत जाएंगे
- ❇️दशरथ माझी
- ❇️बिखरते पन्ने
- ❇️माँ
- ❇️मुफलिसी
- ❇️मेरी मजबूरी
- ❇️मैं मजदूर पैसे के सामने मजबूर
- ❇️ये जंजीर
- ❇️शख्स
- ❇️सुनी पड़ गई नदिया
- ❇️हम उनको कहा चुनते है
- ❇️हैवानियत