बादल भी अश्रु बहाए
✍️ उन वीरों की शहादत पर ये बादल भी अश्रु बहाए
शर्म नहीं आती उन सियासती पिदो को
जो इस बात को भी राजनीति में घसीट लाए
बड़े बनते हैं दानवीर लेकिन अंदर बह रही बेईमानी कि नीर
अरे दो मुखटो वालों एक नौकरी और कुछ मुआवजे के
वादे के आलावा बोलो क्या दे पाए
अरे इस घटना को भी चुनावी मुद्दा क्यों बनाए
अरे बंद करो ये तमाशा न रखो कोई आशा
इस घटना पर भले फेकी तुमने अपनी पासा
याद रखना अंतिम में मिलेगी तुमको निराशा
अभी वक्त है संभल जाओ
अपनी चढ़ाई में फिसलन मत बनाओ
ये वो जन नहीं जो कुछ बातों में भुल जाए
शतर्क रहना कहीं इन गरीबों कि बदुआ ना लग जाए
अरे तुझको चुनाव के आलावा कुछ नहीं भाए
देखो ये बादल भी अश्रु बहाए
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