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पलायन करते पंक्षी जब मेरी लहरों के साथ तेरी स्वर गूंजती थी भर चारो तरफ खुशहाली सबको मंत्रमुग्ध कर देती थी अब सुनी पड़ गई ये ललाहती लहरे वीरान जगहों में भी तुझे बुलाती है लहरें आकर इस धारा में फिर से शैर करना ले तू आकर मेरी जल से फिर अपनी प्यास बुझा ले तू अब तुम कहा चले गए कमी खलती है तु…
अभी भी वहां की हवाएं महसूस कराती है निहत्थे लोगों के संहार के धधकती ज्वाला देखकर रूहे काप जाती है बागो के बीच वह खुला कुआं क्या तुम्हे याद है वह रात काली जिस क्रांति क्षेत्र में चली थी निहत्थे लोगों पर अंधाधुन गोली कैसे भुल सकता है उस आग को खुनो से लथपथ उस जालियांवाला बाग को आजादी के जो…
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Poem on maa in hindi
मां तो मां होती है मां ✍️जब गुज़ उठ किलकारी घर के आंगन में सब हसे लेकिन मै रो रहा था
मेरी मजबूरी
क्या करू साहब Lockdownमें पुलिस की सख्ती और लोग की मजबूरी …
Poem on Online classes in hindi
What felling about Online classes Poem ______________________________________________ क्य…
बिखरते पन्ने
बिखरते पन्ने ✍️ये छिटक के बिखरते पन्ने क्या अकेले पूरी कर पाएंगे सपने कितने रेहाल बनेंग…
मा-बाप वृद्धाश्रम
"बेटा के ये कैसा फ़र्ज़ ..." बेघर हुए मा-बाप ✍️जिनके आचल में जीवन पथ पर चलना सी…
कविता की सूची
- ❇️लाचार किसान
- ❇️दरिंदे
- ❇️मेहनतकश किसान
- ❇️जो छोड़ चला अपनी बुनियाद
- ❇️अपनी पहचान हिंदी में अस्वीकार है
- ❇️कुछ कर लो यार
- ❇️बेवफ़ा
- ❇️पहुंच से दूर वे शिक्षा उनके लिए
- ❇️ बादल भी अश्रु बहाए
- ❇️ बिहार में प्रलय
- ❇️ मां-बाप वृद्धाश्रम
- ❇️ विभिन्नता
- ❇️ सियासत की भूख
- ❇️उठ मां
- ❇️कहाँ हो मोहन
- ❇️कैसी है महामारी
- ❇️जिंदगी के हर जंग जीत जाएंगे
- ❇️दशरथ माझी
- ❇️बिखरते पन्ने
- ❇️माँ
- ❇️मुफलिसी
- ❇️मेरी मजबूरी
- ❇️मैं मजदूर पैसे के सामने मजबूर
- ❇️ये जंजीर
- ❇️शख्स
- ❇️सुनी पड़ गई नदिया
- ❇️हम उनको कहा चुनते है
- ❇️हैवानियत