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Poem on Online classes in hindi

What felling about Online classes Poem

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क्या औचित्य था यहां आने का
अपने मन से मै कई बार पूछा
न कभी मै किताबो को देखा
न जान पाया कोई लेखा जोखा
परीक्षा आई राह में तो 
हर कदम पर गूगल से पूछा
कभी पूछता हू अपने मन से
क्या यही औचित्य था यहा आने का
चले थे बेतारो के दुनिया जानने
कैसे कहूं मै बेतारो से क्या सीखा
लोगो से अपने को पर्दे में डालकर
खुद को खुद से धोखा करना सीखा
क्या औचित्य था यहां आने का
मैंने अपने मन से कई बार पूछा
                           - अमरजीत



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