रफ्ता रफ्ता ही
कोई होशियारी नहीं, होशियार होना
मुश्किल होता है जिम्मेदार बनना
मा बाप के आंखो में देखे तो
मुश्किल लगता उनके परेशानियों का हिस्सेदार बनना
यूं तो आसान है नादान बनना
मुश्किल है जिम्मेदार बनना
परिस्थितियां भी चाहती होगी
जग में एक बदलाव लाना
हमारी इक्षाए बाज की तरह उड़ान भरना
पर मुश्किल है बरसात या सर्द में पंखों को फैलाना
पर ये सच है रफ्ता रफ्ता ही
गुमसुम हवाओं का तूफान होना
Bahut badhiya bhai 👌👌👌👌
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