मेरी जिंदगी एक गुलाब के फूल
✍️मेरी जिंदगी बन गई है एक गुलाब के फूल
चुभा है मेरा कांटा उस माली को जो तोड़ने आए थे फूल
इस मौसम में मेरी कली नहीं बन पाई फूल
मेरी जिंदगी बन गई है एक गुलाब के फूल
अब कैसे बनू किसी मंच के सजावट के हार
कैसे बनू किसी गुलदस्ते के जगहों के हिस्सेदार
कैसे बनू दो हंसो के मिलन के उपहार
कैसे बना पाऊ औषधी को और असरदार
अब उस माली ने मन बना ली मेरी छंटाई के
मेरी बची उम्मीद के शाखाओं के कटाई के
इसमें उनका नहीं है कोई कसूर
वे अपनी आर्थिक परिस्थितियों से मजबूर
बागवान में स्थान बड़ी उम्मीद से दिए थे
नियमित रूप से मुझे सिंचे थे
मेरे खाद के लिए दौड़ भाग भी किए थे
मेरी देखभाल में छोटी रकम भी खर्च किए थे
न जाने कब अब मानसून आएगा
न जाने कब मेरे शाखाओं में गुल खिलेगा
ये सच है वे बहुत प्रसन्न होंगे
जब मेरे शाखाओं में काटो के जगह अधिक फूल खिलेगे
-अमरजीत
Bahut badhiya ati sundar Fabolous poem keep it up best of luck dear friend 👌👌👌👌👌🙏🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंWoww.... कविता की एक एक पंक्ति में काफी गहरी बातें छुपी है!
जवाब देंहटाएंAmazing, fantabulous
क्या maturity आ गई हैं भाई तुम्हारे कविता लिखने की सोच में ! Superb 💙