मेरी जिंदगी एक गुलाब के फूल ✍️मेरी जिंदगी बन गई है एक गुलाब के फूल चुभा है मेरा कांटा उस माली को जो तोड़ने आए थे फूल इस मौसम में मेरी कली नहीं बन पाई फूल मेरी जिंदगी बन गई है एक गुलाब के फूल अब कैसे बनू किसी मंच के सजावट के हार कैसे बनू किसी गुलदस्ते के जगहों के हिस्सेदार कैसे बनू दो…
तुम्हारी मंजिल गंतव्य ✍️तेरी जिंदगी में कई अंधेरी राते भी आयेगे तेरे जिंदगी में कई राहें सुनसान भी होगे तू इस अंधेरे और अकेलापन से कभी मत घबराना हर अंधेरी रात के बाद एक नई सवेरा होगा बुलंद शिखरों पर तुम्हारा एक दिन बसेरा होगा दृढ़ संकल्प के साथ, आगे बढ़ता जाना अपने मंजिल की तरफ बढ…
कैसे करू पहचान ✍️कपड़ों से होती है पहचान सूट बुट वाला पाता सम्मान फटे कपड़े वाला नहीं बचा पाता अभिमान अब तो गरीब गरीब को नहीं कर पाता पहचान नकाब के दुनिया में किरदार से रह जाते अनजान कोई चेहरे छुपा लेता बन बेवकूफ और अनजान तो कोई अपनापन दिखा पीछे से खंजरों से कर जाता वार अमरजीत पूछता कैसे …
लाचार किसान ✍️आजकल परिंदे अपनी जान कहा बचा पाते वे उन परिंदे को अपनी नई पंख लगा के उड़ा देते इमारती दुनिया में कच्ची मकान में रहने वाले मजबूरन परिंदे अपनी ही आशियाना खुद तोड़ देते वे निर्वाचन से पहले पूछते उनके अरमानों को दे सब्सिडी की लालच टैक्सो से ही गर्दन दबोच देते मौसमों के मार, ब…
Trending now
कविता की सूची
- ❇️लाचार किसान
- ❇️दरिंदे
- ❇️मेहनतकश किसान
- ❇️जो छोड़ चला अपनी बुनियाद
- ❇️अपनी पहचान हिंदी में अस्वीकार है
- ❇️कुछ कर लो यार
- ❇️बेवफ़ा
- ❇️पहुंच से दूर वे शिक्षा उनके लिए
- ❇️ बादल भी अश्रु बहाए
- ❇️ बिहार में प्रलय
- ❇️ मां-बाप वृद्धाश्रम
- ❇️ विभिन्नता
- ❇️ सियासत की भूख
- ❇️उठ मां
- ❇️कहाँ हो मोहन
- ❇️कैसी है महामारी
- ❇️जिंदगी के हर जंग जीत जाएंगे
- ❇️दशरथ माझी
- ❇️बिखरते पन्ने
- ❇️माँ
- ❇️मुफलिसी
- ❇️मेरी मजबूरी
- ❇️मैं मजदूर पैसे के सामने मजबूर
- ❇️ये जंजीर
- ❇️शख्स
- ❇️सुनी पड़ गई नदिया
- ❇️हम उनको कहा चुनते है
- ❇️हैवानियत